लखनऊ/उत्तरप्रदेश

चुनाव टले तो उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को होगा बड़ा फायदा? कैसे सियासी हवा बनाने में मिल सकती है मदद, जानें …

नई दिल्ली । इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए प्रधानमंत्री और चुनाव आयोग से अपील की थी कि विधानसभा चुनावों को फिलहाल स्थगित कर दिया जाए। कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते खतरे के बीच हाई कोर्ट की इस टिप्पणी ने काफी चर्चा बटोरी है। इस बीच खबर है कि 27 दिसंबर को चुनाव आयोग की हेल्थ सेक्रेटरी से मीटिंग होने वाली है। इस मीटिंग के बाद आयोग की ओर से चुनावों के आयोजन की टाइमिंग पर फैसला हो सकता है। ऐसे में कयास लगने लगे हैं कि शायद चुनावों को कुछ वक्त के लिए टाल दिया जाए। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि चुनाव टलते हैं तो किसे फायदा हो सकता है।

यूपी की राजनीति की समझ रखने वालों के मुताबिक सूबे में शिक्षक भर्ती, लेखपाल भर्ती और पुलिस सिपाही भर्ती लंबित हैं। यदि चुनाव आयोग की ओर से अभी इलेक्शन का ऐलान नहीं किया जाता है तो यूपी सरकार के पास इन भर्तियों के लिए नोटिफिकेशन जारी करने का मौका होगा। कई महीनों से शिक्षक भर्ती को लेकर आंदोलन जारी है और लेखपाल भर्ती के लिए भी लंबे समय से नोटिफिकेशन का इंतजार किया जा रहा है। 28 दिसंबर यूपीटीईटी की परीक्षा पेपर लीक होने के चलते रद्द हो गई थी। नई भर्ती के लिए इसे अहम माना जा रहा है। अब 23 जनवरी को परीक्षा की नई तिथि घोषित की गई है। इसके बाद सरकार भर्ती को लेकर कोई ऐलान कर सकती है। ऐसे में चुनाव टलते हैं तो फिर सरकार के पास अभ्यर्थियों के बड़े वर्ग को साधने का मौका होगा।

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन, गंगा एक्सप्रेसवे के शिलान्यास और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के लोकार्पण के अलावा गोरखपुर में खाद कारखाने की शुरुआत की जा चुकी है। यही नहीं कई अन्य आयोजनों की भाजपा ने तैयारी की है। विकास परियाजनों के जरिए भाजपा प्रदेश में हवा बनाने की कोशिश कर रही है। यदि चुनाव कुछ वक्त के लिए टलते हैं तो फिर उसके पास कुछ और योजनाओं पर काम करके उनके शिलान्यास का मौका होगा, जो राज्य में अलग-अलग इलाकों में संदेश देने के लिए अहम हो सकता है। बता दें कि केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने ऐसा ही एक ऐलान करते हुए कहा है कि गाजियाबाद से लखनऊ के लिए एक नया एक्सप्रेसवे बनेगा, जो कानपुर से होते हुए गुजरेगा।

उत्तर प्रदेश के चुनावों की बात करें यह कम से कम महीने तक चल सकता है। बड़ा राज्य और 403 सीटें होने के चलते यहां 7 से 8 राउंड में मतदान हो सकता है। ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को अपनी रणनीति को मजबूती देने में मदद मिलती है, लेकिन खासतौर पर भाजपा के लिए लंबा चुनाव फायदेमंद हो सकता है। इसकी वजह पार्टी के पास बड़ी मशीनरी होना है और वह राउंड दर राउंड रणनीति बनाकर काम करने में सक्षम है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव मजबूती से मैदान में उतरे हैं, लेकिन कांग्रेस और बीएसपी जैसे दलों के लिए अलग-अलग चरणों में हवा बना पाना आसान नहीं होगा।

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