लेखक की कलम से
मुझको माँ तेरी याद सताती…
क्या मेरा जनम अवांछित था ?.
या यह सच है कि
आप निभा न पाए सात वचन
क्या पनपा नहीं मैं तुम्हारे प्रेम से?
क्यूँ वंचित हूँ अपनी ही जमीन से ?
दौड़ कर जब लवी की माँ उसको गले लगाती
मुझको तेरी साँसों की गर्मी छू जाती .।
रोते-बिलखते तरुण को जब माँ प्यार से सहलाती
मुझको माँ तेरी याद सताती।
गिरने पर श्रिया को माँ ह्रदय से जब लगाती
मुझको माँ तेरे स्पर्श की तड़प रुलाती।
सीने से अपने लगा के प्रिशा को, माँ जब लोरी सुनाती
मुझको माँ तेरी आवाज़ की खनक, स्मृति दे जाती।
क्या कसूर है मेरा?
क्या अंश नहीं मैं तेरा?
क्यूँ दूर किया अपने से मुझको ?
क्यूँ सुनाई नहीं देता मेरा रुदन तुझको ?
क्यूँ जमाने की सारी कठोरता तुझमें समाई?
आज तो जवाब दे भगवन
क्यूँ मेरी माँ तूने कोमल न बनाई ???
@अनुपमा दास, बिलासपुर, छत्तीसगढ़