लेखक की कलम से

“तेरा ही अंश हूँ माँ”…

तेरा ही अंश हूँ माँ”,तू मेरी परछाई माँ।

और परछाई सुना कभी साथ नहीं छोड़ती माँ।।

 

माँ मुझे  बोझ मत समझो मैं भी अंश तुम्हारा हूँ

अजन्मा ही मत मारो मुझको मैं भी खून तुम्हारा हूँ

माँ हो मेरी फिर साथ क्यों देती हत्यारों का

ताकत से तुम सामना करो,मेरे इन हत्यारों का।

 

तेरा ही अंश हूँ माँ”,तू मेरी परछाई माँ।

और परछाई सुना कभी साथ नहीं छोड़ती माँ।।

 

अपनी ताकत से ही मैं नाम तुम्हारा रोशन कर जाऊंगी

मुझको जन्म दो एक बार नाम तुम्हारा कर दिखाउंगी

मैं तो तेरी जान हूँ माँ अपने से जुदा मत होने दे

तेरा ही खून हूँ मैं, माँ मुझे भी जीने का हक दे।

 

तेरा ही अंश हूँ माँ”,तू मेरी परछाई माँ।

और परछाई सुना कभी साथ नहीं छोड़ती माँ।।

 

मैं बोझ नही बनूंगी तुझ पर माँ,मेरा विश्वास तो कर

वादा आज ये करती हूँ,मैं स्वयं की राह बनाउंगी

बस एक बार जन्म दे दे माँ, तेरा सहारा बन जाऊंगी

बेटे से भी ज्यादा तुझ पर प्यार मैं अपना लुटाऊंगी।

 

तेरा ही अंश हूँ माँ”,तू मेरी परछाई माँ।

और परछाई सुना कभी साथ नहीं छोड़ती माँ।।

 

बहुत अच्छे खाने की चाह नहीं मेरी बस

रुखा सूखा दे बड़ा कर देना,बस जन्म दे देना

संग तेरे हर दुख में परछाई बन खड़ी रहूँगी

कोख में मत मारो मुझको बस अहसान मानूँगी।

 

तेरा ही अंश हूँ माँ”,तू मेरी परछाई माँ।

और परछाई सुना कभी साथ नहीं छोड़ती माँ।।

 

माँ बेटे की चाह में  ये दुशकृत्य क्यों करती हो

मैं भी तेरा खून हूँ माँ, फिर दुराचार क्यों करती हो

बेटी नहीं जन्मोगी तो कन्यादान कैसे कर पाओगी

अपने प्यारे बेटे को बहु कहाँ से लेकर आओगी।

 

तेरा ही अंश हूँ माँ”,तू मेरी परछाई माँ।

और परछाई सुना कभी साथ नहीं छोड़ती माँ।।

 

क्यों माँ होकर हत्यारिन बनती हो,हिम्मत करो

उठो सामना करो लोगों का,ललकारों हत्यारों को

माँ दुर्गा को पूजती हो नवरात्रों में तुम तो

उन्हीं का अंश हूँ मैं भी क्यों ये भूल जाती तुम।

 

तेरा ही अंश हूँ माँ”,तू मेरी परछाई माँ।

और परछाई सुना कभी साथ नहीं छोड़ती माँ।।

 

आज नहीं बोलोगी तो कभी माफ नहीं कर पाओगी

जीवन भर पछताओगी तो फिर ये पाप नहीं धो पाओगी

मेरी दुनिया बसने से पहले ही न उजाड़ों माँ

यूँ मुझे कोख में ही मत मारो मेरी माँ।

 

तेरा ही अंश हूँ माँ”,तू मेरी परछाई माँ।

और परछाई सुना कभी साथ नहीं छोड़ती माँ।।

 

तेरी सेवा को हर दुख में मैं ही काम आऊंगी माँ

उठ चल सामना कर अब तेरा ही सहारा मुझको माँ

भाई को राखी बांध अपने सब फर्ज निभाउंगी

यूँ मुझे कोख में ही मत मारो मेरी माँ मैं कर्ज चुकाउंगी।

 

-डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद

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