लेखक की कलम से

होली का त्यौहार है …

 

बीते एक साल बाद है आया

खुशियों का उपहार है लाया

किसी के हाथ है नीला पीला

कोई बनकर घूम रहा रंगीला

मिलने आते एक दूजे से

सबके अपने जिगरी यार है

आज होली का त्यौहार है…!

 

गुज़रा फाल्गुन देकर मल्हारे

आया चैत्र लेकर नई बहारें

प्रकृति साथ वसुंधरा भी झूमे

बुराई जले होलिका दहन ना भूले

रंग गुलाल लगाकर सब को

लोग बांट रहे बहुत प्यार हैं

आज होली का त्यौहार है….!

 

ये जो रंग गुलाल का खेल है

सच है यही दिलों का मेल है

कोई भांग नशे में घूम रहा है

तो कोई मस्ती में झूम रहा है

दिलों में प्यार, हाथ में गुलाल

हर जगह रंगों की भरमार है

आज होली का त्यौहार है…!

 

बच्चे बूढ़े और जवान

दिखा रहे मोहब्बत बढ़ा रहे मान

कोई व्रंदावन में रास रचाता

अपनी मेहबूबा को गुलाल लगता

आंख गुलाबी लव पर लाली

घर आये मेरे सरकार है

आज होली का त्यौहार है….!

 

©राजेश राजावत, दतिया, मध्यप्रदेश

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