नई दिल्ली

एचआईवी मरीजों का दिल्ली में प्रदर्शन, पांच महीने से आउट ऑफ स्टॉक हैं दवाएं; मोदी सरकार से पूछा- कैसे एचआईवी मुक्त होगा देश …

नई दिल्ली। मोदी सरकार के सामने एचआईवी मरीजों का एक बहुत बड़ा सवाल मुंह बाए खड़ा है। इसका जवाब भी नरेंद्र मोदी सरकार को देना है और इसकी भरपाई भी नरेंद्र मोदी सरकार को करनी है। एचआईवी मरीजों के एक समूह ने संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए रिकमेंड (अनुशंसित) की गई महत्वपूर्ण एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं की कमी के खिलाफ मंगलवार को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के कार्यालय में किया गया। न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए एक एचआईवी मरीज ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को दवा की कमी के बारे में सूचित किया था, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

मरीज का कहना है कि पिछले पांच महीने से दवाएं स्टॉक से बाहर हैं और यह समस्या न केवल दिल्ली में बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी है। उन्होंने कहा, ‘हम विरोध कर रहे हैं क्योंकि एचआईवी मरीजों के लिए आवश्यक जीवन रक्षक दवाएं दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में पिछले 5 महीने से उपलब्ध नहीं हैं। हमने राज्य के अधिकारियों को पत्र लिखा लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।’

मरीज ने यह भी बताया कि दवाएं कुछ समय से स्टॉक में नहीं हैं और यह कमी लगतार जारी है। दवाएं स्टॉक से बाहर हैं और ऐसी दवाओं की कमी है जो एचआईवी रोगियों के लिए बेहद जरूरी हैं। अगर हमें ये दवाएं नहीं मिलेंगी तो भारत कैसे एचआईवी मुक्त देश बनेगा। इसी बीच केंद्र सरकार की एजेंसी, राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन ने एचआईवी मरीजों के विरोध के बाद चर्चा का दौर शुरू किया।

एएनआई को एक सूत्र ने बताया, ‘नाको द्वारा अनुनय-विनय और एचआईवी (पीएलएचआईवी) मरीजों के साथ रहने वाले व्यक्तियों के राष्ट्रीय नेटवर्क के सक्रिय सहयोग से, प्रदर्शनकारियों के चार प्रतिनिधियों ने आज दोपहर नाको के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की।’ सूत्रों ने आगे बताया कि चर्चा के दौरान प्रदर्शनकारियों को दवा की उपलब्धता की स्थिति से अवगत करा दिया गया है।

सूत्र ने कहा, उन्हें दवाओं की उपलब्धता की स्थिति के बारे में बताया गया। उन्हें राज्य एड्स नियंत्रण समितियों और नाको के साथ संयुक्त रूप से उन कुछ केंद्रों के साथ मिलकर दवाओं की उपलब्धता पर काम करने को कहा गया, जहां अस्थायी रूप से आपूर्ति कम है। बता दें कि भारत उन बेहद कम देशों में शुमार है, जो अपने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (एनएसीपी) के तहत एचआईवी रोगियों को आजीवन इलाज के लिए मुफ्त एंटीरेट्रोवायरल दवाएं प्रदान करता है। राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार नाको केंद्रीय रूप से पीएलएचआईवी के लिए एआरवी दवाओं की खरीद करता है।

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