लेखक की कलम से

हिंदू नव वर्ष …

नव सृजन उल्लास उमंग,

तरु भी कोमल पत्ती धर,

अमराई में कुहके कोयल,

मधुर स्वर ये मन को भाए,

नव वर्ष की है अगुवाई में ||

प्रसुन से धरा है शोभित,

दिवाकर की उष्णता से,

ये वसुंधरा भी तप्त होते,

शीतल नीर ये कण्ठ भाए,

नव वर्ष की है अगुवाई में ||

दीप प्रज्वलित नवरात्रि की,

भूमण्डल आज भी है उमंग,

सृष्टि की ये नव सृजन कर,

जीर्ण पत्ते वन उपवन से उतर,

नव वर्ष की है अगुवाई में ||

ये हिन्द हिन्दू की परम्परा,

आज शुभ मंगल गान से,

नव वर्ष शुभ चैत्र प्रतिपदा,

करते सभी है ये स्वागतम,

नववर्ष की है अगुवाई में ||

©योगेश ध्रुव, “भीम”, धमतरी, छत्तीसगढ़   

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