लेखक की कलम से

हे दुर्गा मां …

अब कुछ ऐसा कर दो मां

तन में प्रतिरोध भर दो मां।

जग जननी तुम, जग माता हो

सब जन की भाग्य विधाता हो।

हे ब्रह्मचारिणी तप संबल दो

दुष्ट वायरस को भस्म कर दो।

मां दुर्गा शेरों वाली

ऐसी तेरी ललकार हो।

सब जन हो जाएं सुखी

बंद यह चीत्कार हो।

हाथ जोड़ कर रहे हैं वंदन

मानवता कर रही है क्रंदन।

खुशियों की बस जोत जले

पहले जैसे सब गले मिले।

©अर्चना त्यागी, जोधपुर                   

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