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मां के चरणों में स्वर्ग…

हे सुखकरनी हे दुखहरनी
नेत्र विशाला मां मृगनयनी
लक्ष्मी गौरी मां कमलासनि
मां जगजननी विंध्यवासिनी

कर दो बेड़ा पार करू मैं विनती आज हजार

तेरा ध्यान धरू मैं निशदिन
और गुणगान करूमै प्रतिदिन
तुम हो जग की पालन हारी
तेरी महिमा जग से न्यारी

मेरा करो निस्तार करूं मैं विनती आज हजार

आर्त स्वरों में तुझे पुकारू
निज कर्मों को आज सुधारूं
मां मां कह आवाज लगाऊ
हरछठ तेरा भजन सुनाऊं

कर दो भव से पार करूं मैं विनती आज हजार

तुम हो आदिशक्ति महारानी
चरणों में है क्षमा दिवानी
माया मोह बहुत गहरे हैं
करना माफ मेरी नादानी

तुम करुणा की सार करूं मैं विनती आज हजार

द्वार पे तेरे डंका बाजे
स्वेत कमल पे मां तू विराजे
ब्रह्मा विष्णु शिव द्वार खड़े हैं
हांथों में वीणा सुर साजे

महिमा अपरंपार करूं मैं विनती आज हजार

कर दो भव से पार करूं मै विनती आज हजार

 

©क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज           

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