लेखक की कलम से

हर्षित है नर नारि …

हर्षित है नर नारि, सभी मिल खुशी मनाते

हुए   कृष्ण  अवतार , ले गल बहिंया गाते

झूमे   है  आकाश,  पुष्प   की  वर्षा  होती

जागी  हैं  उम्मीद , रही जो अब तक सोती

 

कष्ट हरण की रात, हुए सब आकुल मानस

आई भादों रात , प्रकट जब  मोहन पावस

खुले काल के द्वार  , कंस का मारक आया

झूमी मथुरा  मग्न, तिमिर महलों  में  छाया

 

किया अधर्मी  नाश , सुखी  सारे  नर  नारी

लिये पुष्प सब हाँथ, कि जनता भई सुखारी

कान्हा  कान्हा  बोल , कहें  ग्वाले सब झूमें

मोहन  के   चहुँ  ओर  , बनें   मतवाले  घूमे …

 

©डॉ रश्मि दुबे, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश                      

Back to top button