लेखक की कलम से

गुरु गोविंद दोऊ खड़े काको लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाएं …

कबीर दास जी का यह श्लोक हर भारतीय ने अवश्य पढ़ा व सुना होगा, गुरु वह है जो लौकिक जगत के साथ-साथ अपने शिष्य को पारलौकिक ज्ञान की प्राप्ति करवाता है । वर्तमान परिपेक्ष में यह दोहा शिक्षक के कर्तव्य को पूर्ण रूप से चरितार्थ करता है। शिक्षक कोरोना के इस संकट काल में अपने परिवार से मीलों दूर रहते हुए भी बिना अपनी जान की परवाह किए समाज के लिए तारणहार की भूमिका निभा रहा है । वर्तमान में जहां एक और शिक्षक तकनीक का उपयोग करते हुए विद्यार्थियों को ऑनलाईन अध्यापन कार्य करवा रहे हैं वही अपना सामाजिक दायित्व बखूबी निभा रहे हैं डोर टू डोर व फील्ड सर्वे करने से लेकर कोरोना वार रूम में मैनेजमेंट का कार्य संभालने तक में शिक्षक अपना कर्तव्य बखूबी निभा रहे हैं । शिक्षक बिना किसी गिले-शिकवे के कोरोना समय में अपने कार्य को कर रहे हैं और तन मन धन से समाज के प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

शिक्षक दिवस सभी शिक्षकों को समर्पित एक पर्व है। यह प्रतिवर्ष 5 सितंबर को पूरे भारत में शिक्षकों को सम्मानित करने हेतु मनाया जाता है। 5 सितंबर 1888 को भारत के महान शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन था। वह एक महान शिक्षक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे।

वह विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के लिए प्रसिद्ध थे। इसलिए वह केवल पहले व्यक्ति थे जिन्होंने न केवल शिक्षकों के बारे में सोचा बल्कि उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया। उनके इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए उनके तथा सभी शिक्षकों के सम्मान में प्रतिवर्ष 5 सितंबर को पूरे भारत में टीचर्स डे के रूप में मनाया जाने लगा।

शिक्षक विद्यार्थियों के जीवन में वास्तविक कुम्हार होते हैं। वह न केवल विद्यार्थी के जीवन को आकार देते हैं बल्कि उन्हें इस काबिल बनाते हैं कि वह पूरी दुनिया में अंधकार होने के बाद भी न प्रकाशित रहें बल्कि औरों को भी रौशन करें।

विद्यार्थी शिक्षक दिवस को बड़ी खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। छात्र शिक्षकों को बधाई देकर इस दिन की शुरुआत करते हैं। इस दिन विद्यालयों में विद्यार्थी विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा शिक्षकों को सम्मानित करते हैं। शिक्षकों के सम्मान में कविता, शायरी, नाटक प्रस्तुति और भाषण आदि कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।

हम सभी शिक्षकों के अनमोल योगदान के बदले उन्हें कुछ नहीं लौटा सकते लेकिन हम उन्हें सम्मान और धन्यवाद अवश्य दे सकते हैं। इसलिए हमें दिल से शपथ लेनी चाहिए कि हम हमेशा शिक्षकों का सम्मान करेंगे।

शिक्षक को परिभाषित करना असंभव है क्योंकि शिक्षक ने केवल शिक्षाविदों में छात्रों को पढ़ाने या उनका मार्गदर्शन करने तक सीमित है, बल्कि छात्रों को सही रास्ता दिखाने में मदद कर रहे हैं। वह हमारे चरित्र में मूल्य जोड़ते हैं और हमें देश के आदर्श नागरिक बनाते हैं।

वर्तमान में जहां कोरोना महामारी ने पुरे देश को झकझोर कर रख दिया स्कूल,कॉलेज बंद हो गए तब भी शिक्षक घर से ऑनलाइन अपने बच्चों को पढ़ा रहे है साथ ही अपना कर्तव्य भी ईमानदारी से निभा रहे है जिसके लिए कोरोना महामारी में कोरोना योद्धा के रूप में सेवा दी।

स्कूल के विषयों के साथ-साथ वह हमें अच्छी नैतिकता भी सिखाते है और मजबूत चरित्र वाले व्यक्ति बनने पर जोर देते है। वह वास्तव में बहुत अच्छा शिक्षक है और मुझे हमेशा अपनी पढ़ाई में अच्छा करने के लिए प्रेरित करता है।

Back to top button