लखनऊ/उत्तरप्रदेश
शुभ रात्रि …
वक्त के पहरेदार
वक्त की मार से डरें
वक्त शिनाख्तगी में व्यस्त हैं
और वक्त की तहरीरें
इधर उधर चीख रही है
एक वक्त उनका है
एक वक्त अपना है
पर दोनों के बीच कोई पुल नहीं
वक्त की आंखें
टकटकी लगाए निर्विकार है
मलहमी सियासत दां!
©लता प्रासर, पटना, बिहार