लेखक की कलम से
गणेश…
हे गणपति ! हे गजानन !
पूरे करो हर काम ।
सारे देवो में मिला,
तुम्हें सर्वप्रथम स्थान।
रिद्धि-सिद्धि तुम्हारी भार्या ,
शुभ-लाभ के तुम तात।
लड्डुओं का भोग तुम खाते।
मूलक पर सवार
सब काम अधूरा तुम बिन।
सारे धाम के तुम हो रक्षक।
लक्ष्मी जी तुम्हारे साथ बिराजे।
सरस्वती जी वीणा बजावे।
अलग-अलग है नाम तुम्हारे।
शिव उमा हैं मात पिता तुम्हारे।
झोली तुम भर भर देते।
नहीं कभी तुम दर्शन देते।
सारे ब्राह्मण मंदिर डंका बाजे।
सर्वप्रथम हम तुमहे बुलावे।
तुम बिन मंगल काम अधूरे।
दया करो प्रभु द्वार तिहारे।
जै जै तुम्हारी गावे।
नित दिन हम शीश झुकावे।
-नीना गुप्ता, हिसार, हरियाणा