लेखक की कलम से

मज़ाक-की-भी-हद-होती-है…..

 

अधिकांश मैंने देखा और समझा है कि यदि नारी किसी पुरुष या दोस्त से दो शब्द हँस कर बात कर ले तो मज़ाक मज़ाक में कुछ ऐसा कह जाते हैं जो नारी के दिल को एक गहरी चोट दे जाते हैं।

कहते हैं ना कि खाली दिमाग़ शैतान का घर होता है। बस ये कहावत ऐसे लोगों पर सटीक होती है।

ये कविता उन लोगों के लिए है जो मजाक का नाम देकर नारी को शर्मशार करते हैं।

बस चंद पंक्तियाँ प्रस्तुत करना चाहती हूँ।

 

मजाक की भी हद होती है यार,

क्यों करते हैं लोग नारी के

दिल को तार तार।

किसी का मजाक उड़ाना

कोई अच्छे नहीं संस्कार,

ये तो जीवन की डोर है

कोई पतंग नहीं यार।

माना मजाक करना

कोई बुरी नहीं है बात।

पर किसी के दिल को ठेस पहुंचाना,

वो भी तो अच्छी नहीं होती बात।

मजाक मजाक में करते हैं ऐसी गलतियां,

जो दागदार कर देते हैं उनकी हस्तियॉं।

ये तो एक साजिश होती है हजूर,

किसी को बदनाम करने की कला उनमें होती है खूब।

उनकी कोई औकात नहीं,

किसी का मजाक उड़ाने की।

हमारे भी हैं जज्बात हैं,

थोड़ी शर्म तो करो जमाने की।

उनके बोल नारी के दिल को भेद देते हैं,

दोस्ती के नाम पर कलंक होते हैं।

वरना जिस दिन हम भी,

अपनी जिद पर आ गए।

कहीं के भी नहीं रहोगे जनाब!

 

©मानसी मित्तल, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश    

Back to top button