लेखक की कलम से
दोस्ती …
कुछ रिश्ते
बन जाते हैं यूंहीं,
जब उम्मीदें टूटने लगें
हर रिश्ते छूटने लगें,
जीवन के किसी मोड़ पर
ये मिल जाते हैं यूंहीं..
उन्हीं में से एक रिश्ता दोस्ती
जो न मिलता जबरदस्ती,
दोस्ती एक ऐसा आकाश
है प्यार भरा सुहाना अहसास,
जब हर कोई ठुकराता है
वो दोस्त है, जो गले लगाता है..
दोस्ती उम्र भर की चाहत है
दर्द भरे दिल की राहत है,
मुसीबत को बेअसर करे
ऐसा ही ये रिश्ता है,
एक आंसू जब गिरे आंखों से
वो भी बिखरता जाता है,
सच्ची दोस्ती में दोस्तों!
हर एक दोस्त फरिश्ता है..
सुख-दुख का साथी है
वो राजदार भी है,
गलतियों का आइना दिखाए
फिर वही सबसे बड़ा तरफदार भी है,
झूठी दोस्ती का ढोंग जो रचाते हैं
पतझड़ की पत्तियों सी झड़ जाते हैं,
हीरे से चमकते सच्चे दोस्त
जो बड़े किस्मत से मिल पाते हैं..।
©वर्षा महानन्दा, बरगढ़, ओडिशा