धर्म

आत्मा की शांति के लिए मृत सुहागिन महिला, बच्चे और साधुओं का इन तिथियों पर करना चाहिए श्राद्ध…

नई दिल्ली। पितृ पक्ष में मृतक परिजनों की आत्मा के लिए तर्पण-श्राद्ध किए जा रहे हैं. कई मृतक ऐसे होते हैं जिनकी तिथि पता नहीं होता है, लिहाजा उनका श्राद्ध कब करें इसकी जानकारी नहीं होती है. इस संबंध में धर्म-शास्त्रों में कुछ अहम जानकारियां दी गईं हैं. इसमें सुहागिन महिला, अविवाहित लोग, अकाल मृत्यु पाने वाले लोगों  के श्राद्ध के लिए अलग-अलग तिथियां बताई गईं हैं.

 

सुहागिन महिला: यदि सुहागिन महिला के निधन की तिथि पता न हो तो उसका श्राद्ध पितृ पक्ष की नवमी तिथि (30 सितंबर) को करना चाहिए.

 

मृत बच्चों के श्राद्ध की तिथि : यदि मृत बच्चे की मौत की तिथि मालूम न हो तो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की त्रयोदशी (4 अक्टूबर) तिथि पर किया जाता है.

 

संन्यासी के श्राद्ध की तिथि : यदि संन्‍यासी की मृत्यु तिथि न मालूम हो तो उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की एकादशी (2 अक्टूबर) पर करना चाहिए.

 

अकाल मृत्यु पाने वाले लोगों की श्राद्ध की तिथि : जिन लोगों की अकाल मृत्यु हुई हो (आत्महत्या या दुर्घटना में मारे गए लोग) और उनकी तिथि मालूम न हो तो उनका श्राद्ध कर्म पितृ पक्ष की चतुर्दशी (5 अक्टूबर) तिथि पर करना चाहिए.

 

सभी मृत लोगों का श्राद्ध करने की तिथि : ऐसे वे सभी मृत परिजन जिनकी मृत्यु की तिथि का पता न हो उनका श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन किया जा सकता है, जो कि 6 अक्टूबर को है. इस दिन उन लोगों का श्राद्ध भी किया जा सकता है जिनका पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करना भूल गए हों.

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