लेखक की कलम से

पुष्प…

रंग-बिरंगी पुष्प खिले है

कितना सुंदर और सजीला

लाल,पीला,हरा, बैगनी

सुंदर-सुंदर रंग रंगीला ।।१।।

टुन्नू,डुग्गू,लड्डू,टुक्कू

आओ प्यारे-प्यारे बच्चों

बात पते की बतलाऊँ,कैसे

पुष्प मनमोहक लगती है बच्चों।।२।।

कांटो संग रहकर भी यह

खिली-खिली हरदम है मुस्काती

नित संघर्ष परत रहकर यह

हमसबको हरदम है लुभाती।।३।।

इसका गुणगान करुं जितना भी

वह भी कम है लगता

चारो ओर खिलकर यह, ख़ुशबू

बिखराकर है हरदम महकता।।४।।

 

©अंजली श्रीवास्तव, मिर्जापुर, उत्तरप्रदेश           

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