लेखक की कलम से

इजहार …

उनसे बातों ही बातों में क्या बात हो गयी,

बदला मौसम और ये बरसात हो गई।

क्या हुआ कैसे हुआ,

कब हुआ और क्यों हुआ,

यूं आखों ही आखों में रात हो गई।

भावे ना अब और कोई,

तेरे नाम ये चाहत हुई,

आज दिल से साजन की मुलाकात हो गई।

उन्होंने भी इज़हार किया,

एक इशारा दे दिया,

दोनों को एक दूजे की आदत हो गई।

©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड                            

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