लखनऊ/उत्तरप्रदेश

बनारसी साड़ी और सिल्क स्कार्फ सहित अन्य उत्पादों का बढ़ेगा एक्सपोर्ट, घरेलू बाजार में भी बढ़ेगी डिमांड ….

लखनऊ । टेक्सटाइल क्लस्टर के लिए सीएफसी की स्थापना से कारीगरों को एक ही स्थान पर मार्केटिंग, पैकेजिंग, टेस्टिंग लैब, रॉ मटेरियल बैंक आदि की उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाएं न्यूनतम दरों पर मिलेंगीं। इससे उनके उत्पादों में और निखार आएगा, जिससे बनारसी टेक्सटाइल सहित अन्य उत्पादों के एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही घरेलू बाजार में भी डिमांड बढ़ेगी। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट पर कुल 13 करोड़ 85 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने सीएफसी की स्थापना के लिए राज्यांश एक करोड़ 21 लाख 53 हजार रुपए जारी भी कर दिए हैं।

वैश्विक स्तर पर बनारसी सिल्क को जल्द नई पहचान मिलने वाली है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से वाराणसी में हाईटेक सिल्क, वीविंग एंड डिजाइन क्लस्टर के लिए कॉमन फैसेलिटी सेंटर (सीएफसी) की स्थापना की जा रही है। इससे बुनकरों और कारीगरों सहित कारोबारियों को अपने उत्पादों के वैल्यू एडिशन का लाभ मिलेगा, जिससे बनारसी सिल्क और सिल्क स्कार्फ सहित अन्य उत्पादों का एक्सपोर्ट और घरेलू बाजार में भी डिमांड बढ़ेगी।

एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि इस परियोजना से वाराणसी में टेक्सटाइल की पैकेजिंग और विपणन आदि कार्यों में सिल्क कारीगरों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। सीएफसी में उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाएं कारीगरों को मिलेंगीं, जिससे इकाईयों के उत्पाद वैश्विक उत्पादों से भी प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे। इसके अलावा वैश्विक बाजारों में निर्यात की सम्भावनाएं भी सृजित होंगी और राज्य को एमएसएमई क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान मिलेगा। परियोजना में केंद्र सरकार का अनुदान 953.60 लाख और राज्य सरकार का अनुदान 277.06 लाख रुपए है। इसके तहत 20 करोड़ तक की परियोजनाएं स्थापित की जा सकती हैं।

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