लेखक की कलम से
हर हंसी कुछ कहती ….
मां के मुंह पर सुशोभित होती
तो संतान के सुख व संतुष्टि को जाहिर करती…
सैनिकों के मुख पर दमकती
तो फतेह का दम भर्ती….
डॉक्टरों के मुख मंडल पर चमकती
तो नवजीवन का सुखद संदेशा देती..
प्रेमी के मुखड़े को आलोकित करती
तो हृदय में प्रेम की टीस को बयां करती….
पाठकों के चेहरे पर झलकती
तो जीवन के अनुभवों से प्लावित करती…
खिलाड़ियों के मुखारविंद पर खेलती
तो जीत की वाद्य ध्वनि बजती…
बेरोजगारों के मुख पर आसीन होती
तो जिंदगी की कटुता को व्यक्त करती…
वृद्धों के मुखड़े पर विराजमान होती
तो चिंता मुक्त, सुखद, सम्मानित होने का अंदेशा देती…..
हर हंसी जीवन के किसी ने किसी
पहलू को उद्घाटित करती….
हर हाल में ज़िन्दगी को हँसाती है……
©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता