मध्य प्रदेश

फाइलों के जाल में उलझा विकास, निर्विरोध सरपंचों को पुरस्कार का इंतजार

निर्विरोध ग्राम पंचायतों की प्रोत्साहन राशि का पता नहीं

भोपाल। मप्र में पिछले साल स्थानीय निकाय के चुनाव हुए। सरकार ने ऐलान किया था कि जिन पंचायतों में निर्विरोध पंच-सरपंच चुने जाएंगे उन्हें पुरस्कार दिया जाएगा, लेकिन साल भर हो गया राशि किसी को नहीं मिली है। हालांकि सरकार का कहना है कि रकम स्वीकृत हो गई है, कुछ ही दिनों में ये पैसे मिल जाएंगे। सरकारी ऐलान के मुताबिक, 15 लाख रुपये मिलने थे, लेकिन अभी तक कुछ नहीं मिला है। मप्र में लगभग 22,000 पंचायतें हैं। 303 पंचायतों में निर्विरोध सरपंच चुने गए। सरकार ने ऐलान किया था कि इन्हें 15-15 लाख रु। दिये जाएंगे। इन्हें समरस पंचायतों का नाम दिया गया था। शासन का कहना है 5146 लाख रुपये स्वीकृत हो गए हैं।

प्रदेश में पंचायत चुनाव हुए एक साल का समय हो गया है , लेकिन उन पंचायतों को अब तक पुरस्कार की राशि नहीं मिल सकी है, जिनमें जन प्रतिनिधि निर्विरोध रूप से निर्वाचित हुए थे। चुनाव के पहले इस तरह की पंचायतों को पुरस्कृत करने की घोषणा स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई थी। एक साल बाद भी पुरस्कार के रूप में मिलने वाली राशि नहीं मिलने से लग रहा है कि सरकार शायद अपना यह वादा भूल चुकी है। इसकी वजह है यह मामला पूरी तरह से प्रक्रिया में उलझकर रह गया है।

वित्त विभाग ने डाला अड़ंगा, आपत्ति लगाकर फाइल वापस भेजी

इसके लिए पंचायत राज संचालनालय ने करीब 55 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत कर फाइल को मंजूरी के लिए वित्त विभाग को भेज दिया था, लेकिन इस फाइल पर वित्त विभाग ने नियमों का हवाला देकर आपत्ति लगा कर उसे वापिस कर दिया है। दरअसल इसकी वजह है विभाग में तीन माह में खर्च किए जाने वाले बजट की राशि की सीमा तय है। प्रस्तावित राशि तय सीमा से अधिक है, लिहाजा फाइल पंचायत राज संचालनालय को स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को भेजना पड़ी। वित्त विभाग द्वारा फाइल लौटाने की जो वजह सामने आ रही है उसके मुताबिक तय सीमा से अधिक राशि खर्च करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरुरी होती है , लेकिन पंचायत राज संचानालय ने बिना कैबिनेट की स्वीकृति के ही फाइल सीधे वित्त विभाग को भेज दी थी।

इन मामलों में भी होंगी पंचायतें पुरस्कृत

महिला एवं बाल हितैषी पुरस्कार, जल परिपूर्ण पुरस्कार, स्वच्छ, स्वस्थ एवं हरित पंचायत और की श्रेणी में भी पंचायतों को पुरस्कार दिए जाएंगे। इसमें प्रथम पुरस्कार 50 लाख, द्वितीय पुरस्कार 25 लाख रुपये है। प्रदेश के पंचायत एवं गा्रमीण मंत्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया का इस मामले में कहना है कि पुरस्कार के लिए 8 कैटेगरी तय हैं। इन्हें पुरस्कृत करने का आदेश हो चुका है। जितने निर्विरोध हैं, सब प्रसन्न हैं। उन्होंने कहा कि अप्रूवल हो चुका है, मैं नहीं समझता कोई दिक्कत आएगी। बताया जाता है कि प्रदेश में बीते साल हुए पंचायत चुनाव में निर्विरोध रुप से छह सौ से अधिक सरपंच निर्वाचित हुए थे। दरअसल इन निर्वाचित पंचायत जनप्रतिनिधियों को पांच से लेकर 15 लाख रुपए तक का नगद पुरस्कार दिया जाना है। सरकार की घोषणा पर अमल नहीं होने से सरपंचों में मायूसी बढ़ती ही जा रही है। धार जिले के धरमपुरी जनपद पंचायत में पंधानिया में गांववालों ने सरपंच और पंचों को निर्विरोध चुनकर सोचा था कि पुरस्कार में मिलने वाली राशि से गांव का भला होगा, लेकिन अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ है। गांव वालों ने पंधानिया के सरपंच के रूप में प्रकाश दसाने को निर्विरोध चुना था। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने घोषणा तो कर दी, लेकिन कोई राशि नहीं मिली। भानपुरा पंचायत में भी यही हाल हैं। पैसा नहीं मिलने से सरपंच परेशान है। भुवानिया में सारी महिलाएं निर्विरोध चुनी गई, लेकिन पैसा नहीं मिला। सरपंच किरण पाटीदार ने कहा कि इसलिये निर्विरोध पंचायत बनी थी, जिससे राशि मिलेगी तो मांगलिक भवन का निर्माण करवाएंगे। हम चाहते हैं जल्द से जल्द राशि मिले और मांगलिक भवन बन जाए।

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