नई दिल्ली

दिल्ली हाई कोर्ट ने लगाई मोदी सरकार को कड़ी फटकार, कहा- आपके पास वैक्सीन नहीं तो घोषणाएं क्यों करते हैं …

नई दिल्ली। ब्लैक फंगस और वैक्सीनेशन के मामले पर मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की कड़ी फटकार लगाई. दिल्ली हाई कोर्ट ने तल्ख टिपणी करते हुए केंद्र से पूछा सवाल कि अगर आपके पास वैक्सीन नहीं है तो घोषणाएं क्यो करते हैं. हाई कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह नीति तैयार करे कि दवाइयों की कमी के समय किसे प्रतिकमिकता दी जाएगी? हाई कोर्ट ने युवाओं को प्राथमिकता देने के लिए कहा है. ब्लैक फंगस के बढ़ते मामले और इलाज के लिए उपलब्ध दवाओं पर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर किया है, जिस पर कोर्ट भड़क गया. कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट को अस्पष्ट और सरकार को नॉन कमिटल कहा.

दरअसल, सेंट्रल गवर्मेंट ब्लैक फंगस पर दायर स्टेटस रिपोर्ट के आंकड़ों पर फंस गई और हाई कोर्ट ने सवाल खड़ा कर दिया. स्टेटस रिपोर्ट में दवाइयों का प्रोजेक्टेड आंकड़ा 2 लाख 30 हज़ार बताया गया था? इस पर कोर्ट ने सीधे सवाल करते हुए कहा कि कितनी दवाइयां किसे दी गई यानी मिलीं. ये जानकारी कहां से मिली गई? कोर्ट की यह जानने में बिल्कुल रुचि नहीं है कि ये दवाइयां कहा से खरीदी गईं. कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वो नीति तैयार करे कि दवाइयों की कमी के समय किसे प्रतिकमिकता दी जाएगी?

यही नहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने वैक्सीन की कमी पर केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि वैक्सीन की कमी है तो घोषणाएं क्यों की जाती हैं. कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि अगर वैक्सीन की कमी है तो प्राथमिकता तय की जाए. पहले 60 प्लस को वैक्सीन देने के बारे में क्यों फैसला लिया गया. कोर्ट ने केंद्र सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने कितने युवाओं को खो दिया है और आप ऐसे लोगों को बचाने में लगे हुए हैं जो अपनी जीवन जी चुके हैं.

कोर्ट ने ये भी स्पस्ट किया है कि वो यह नहीं कह रहा कि सीनियर सिटीजन को वैक्सीन मत दीजिए लेकिन अगर वैक्सीन कम है तो आप प्राथमिकता तय करिए. कोर्ट ने केंद्र की नीतियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आप पीएम को एसपीजी सुरक्षा इसलिये देते है क्योंकि उन्हें उसकी जरूरत है. आज देश को युवाओं की जरूरत है, इसलिए युवाओ को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि आज उनके जानकारी में आया है कि अनाथ बच्चों के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं लेकिन, आखिरकार इसकी जरूरत ही क्यों पड़ी. बच्चो को उनके अभिभावकों से जो स्नेह मिल सकता है, वो और कहीं से नहीं मिल सकता.

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