लेखक की कलम से

बहू मारने वालो …

बहू मारने वालो, सुन लो

तुमको भी मरना होगा

कण कण कर, इस ग्लानि में

तुमको भी जलना होगा

किसी की बेटी, बहू बना कर

बड़े प्यार से तुम लाये

ना समझा लाड़ली को अपना

बस जुल्म ही, तुमने ढाए

 

थी माँ बाप, जिगर का टुकड़ा

तू समझ ही, ना पाए

 

कभी रुलाया, कभी जलाया

कभी जहर पिला दिया

कभी सताया, किया अपमानित

कभी गला ही, दबा दिया

 

अकेली पाकर बिटिया हमारी

अपनी ताक़त दिखा दिया

 

होते दो-चार, हम साथ जो उसके

औकात दिखाते तुम्हारी,

 

उसी मिटटी में मिला देते तुमको

जिसमें तुमने बिटिया मिला दिया !

 

©जयश्री त्रिवेदी, शहडोल, मध्यप्रदेश

 

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