लेखक की कलम से

गुफ्तगू …

 

गुफ्तगू

यूं ही नहीं

करता कोई

पहले दिल में

जगह बनाता है

 

बुजुर्गों की सुनें

उनकी यादों में

थाती है ज़माने की

पुश्त दर पुश्त की

सशक्त स्मृतियां

सरगम की तरह

बहती रहती है

 

सुनेंगे ना..?

©लता प्रासर, पटना, बिहार

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