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बिहार में बनने से पहले ही खिसकने लगी कांग्रेस की जमीन, ममता बेनर्जी की कई नेताओं पर है नजर…

नई दिल्ली। कन्हैया कुमार की जॉइनिंग और उपचुनावों में अकेले लड़ने के बाद कांग्रेस बिहार में अपनी खोई हुई जमीन बनाने में जुट गई है। लेकिन यह जमीन बनने से पहले ही खिसकनी शुरू हो गई है और बाकी राज्यों की तरह ही यहां भी यह काम ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस कर रही है, जो मिशन 2024 के तहत कई राज्यों में कांग्रेस के भीतर सेंध लगा रही है। तृणमूल कांग्रेस में आज कांग्रेस के बड़े नेता कीर्ति आजाद शामिल होने वाले हैं। आजाद के साथ ही बिहार के कई और नेता टीएमसी का दामन थामने वाले हैं, जिनमें से अधिकांश कांग्रेस के हो सकते हैं। बिहार कांग्रेस के कई असंतुष्ट नेताओं के पाला बदलने के कयास लंबे समय से लगाए जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए बिहार में बीजेपी-जेडीयू और आरजेडी से बड़ी चुनौती टीएमसी बन गई है।

कांग्रेस के अलावा बिहार में टीएमसी दूसरी पार्टियों के असंतुष्ट नेताओं पर भी डोरे डाल रही है। इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पूर्व सलाहकार तथा राज्यसभा के पूर्व सदस्य पवन वर्मा को भी टीएमसी में शामिल किया जा सकता है। जेडीयू के पूर्व महासचिव वर्मा को 2020 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद ने अटकलों को विराम देते हुए यह पुष्टि कर दी है कि वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं। आजाद ने बताया कि वह मंगलवार को दिल्ली में टीएमसी जॉइन करेंगे। कीर्ति आजाद की जॉइनिंग संभवतः टीएमसी चीफ ममता बनर्जी की मौजूदगी में हो सकती है क्योंकि वह भी अभी चार दिवसीय दिल्ली दौरे पर हैं। कीर्ति आजाद के रूप में टीएमसी को बिहार में एक बड़ा चेहरा मिलने की संभावना है।

बिहार के पूर्व सीएम भागवत झा आजाद के बेटे कीर्ति आजाद ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी से की थी और अपने जन्मस्थल दरभंगा से लोकसभा चुनाव जीते थे। हालांकि, बीजेपी के साथ उनका सफर साल 2015 में ही खत्म हो गया था, जब वह लगातार तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली पर हमले कर रहे थे। दोनों के बीच दिल्ली ऐंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन यानी डीडीसीए में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के दावों को लेकर विवाद था। इसके बाद कीर्ति आजाद को पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था।

लगभग चार सालों के बाद आजाद ने फिर से राजनीति में एंट्री की और इस बार उन्होंने कांग्रेस के हाथ का साथ लिया। आजाद ने उस समय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी की मौजूदगी में पार्टी जॉइन की थी। साल 2019 में कीर्ति आजाद ने कांग्रेस की टिकट पर धनबाद से चुनाव लड़ा लेकिन वह इस चुनाव में हार गए। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आजाद को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलें थीं लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद से ही कीर्ति आजाद को कांग्रेस में कोई बड़ी भूमिका नहीं मिली थी औऱ वह उपेक्षित चल रहे थे।

हालांकि, बिहार में टीएमसी की राह आसान नहीं होगी लेकिन अगर टीएमसी को आरजेडी का सहारा मिलता है तो शायद बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। राजनीति से पहले कीर्ति आजाद सन् 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं। आजाद राइट हैंड बल्लेबाज थे, जो रणजी में दिल्ली से खेलते थे।

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