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पुलिस और ग्रामीणों के बीच हुई झड़प, पुलिस की फायरिंग से एक युवक की मौत…

पटना। शुक्रवार की रात चुनाव प्रचार रोकने जा रहे पुलिस और ग्रामीणों के बीच भीषण झड़प हो गई। पुलिस द्वारा फायरिंग किए जाने से एक युवक की मौत हो गई वहीं 3 लोग बुरी तरह जख्मी है। वहीं गांव वालों की तरफ से किए गए पथराव में 20 पुलिसवाले घायल हुए। जिसमें सर्किल इंस्पेक्टर का पैर टूट गया है और धनरुआ थानेदार का सिर फट गया है। कुछ पुलिस वालों की हालत गंभीर है। पुलिस ने करीब 30-40 राउंड फायरिंग की।

मामला धनरुआ के मोरियावां गांव का है। यहां मुखिया पद का एक उम्मीदवार प्रचार का समय (शाम 5 बजे) खत्म होने के बाद भी इलाके में प्रचार कर रहा था। इसकी जानकारी जब धनरुआ थाना पुलिस को हुई तो वो प्रचार रोकने के लिए पहुंच गई। उस वक्त पुलिस टीम की संख्या काफी कम थी। आरोप है कि मुखिया पद के उम्मीदवार और उसके बेटे ने अपने समर्थकों को भड़काया। इसके बाद समर्थकों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया। उस वक्त किसी तरह जान बचाकर टीम वापस थाना आ गई। फिर सीनियर अधिकारियों को पूरी जानकारी दी। काफी संख्या में पुलिस फोर्स वहां कार्रवाई करने पहुंची। इसे देखकर ग्रामीण भड़क गए।

पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प शुरू हो गई। आरोप है कि इसी दौरान उम्मीदवार के बेटे ने फायरिंग कर दी। फिर उसके इशारे पर ही समर्थकों ने पुलिस फोर्स पर हमला कर दिया। जमकर पथराव हुआ। बचाव में पुलिस को भी फायरिंग करनी पड़ी। आरोप है कि पुलिस की गोली से 25 साल के रोहित चौधरी की मौत हो गई। 30 साल के बिजेंद्र कुमार, नीरज कुमार और 27 साल का मिलन कुमार घायल हो गया।

वहीं, गांव वालों के हमले से धनरुआ के सर्किल इंस्पेक्टर राम कुमार का पैर टूट गया और थानेदार राजू कुमार का सिर फट गया। एक कॉन्स्टेबल का भी सिर बुरी तरह से फट गया है। हालात पर काबू पाने के लिए पटना जिला प्रशासन और पुलिस के बड़े अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। वहां कैम्प कर रहे हैं। देर रात तक धनरूआ, गौरिचक, मसौढ़ी, कादिरगंज, पुनपुन, पिपरा, भगवानगंज थाने की पुलिस धानरुआ थाने में तैनात थी।

पटना के एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार शाम 4 बजे के बाद भी लाउडस्पीकर बजाने की सूचना मिली थी। इसके बाद टीम गई थी। उसके बाद ही पूरी घटना हुई है। जिस युवक की मौत हुई है। उसका पोस्टमार्टम होगा। रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा कि उसकी मौत पुलिस की गोली से हुई है या दूसरे किसी की गोली से। 15 पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हैं। जबकि, कुछ को हल्की चोटें आई है। फिलहाल हालात काबू में है। पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

इधर, जख्मी तीन ग्रामीण पीएससीएच में इलाजरत हैं। मोरियावां पंचायत के दर्जन भर ग्रामीण पीएमसीएच में रात भर डेरा जमाए रहे। लोगों में पुलिस को लेकर काफी आक्रोश था। प्रत्यक्षदर्शी नीरज कुमार ने कहा कि मेरे गांव में बीते दो दिन से पुलिस आकर लोगों को हड़का रही है। मारपीट कर रही है-‘शुक्रवार शाम मैं दवा लेने जा रहा था। गांव के लोग इधर-उधर बैठे थे। तभी पुलिस की तीन गाड़ियां दनदनाती हुईं गांव में घुसी और लाठीचार्ज कर दिया। लोग जान बचाकर भागने लगे। पुलिस लोगों को खींच-खींच कर पीट रही थी। इसके बाद गांव वालों ने पथराव कर दिया। तब पुलिस ने फायरिंग कर दी। लाठीचार्ज का शिकार मैं भी हुआ और मैं भागने लगा था। भाग ही रहा था कि तभी एक गोली मेरे गाल और कान को चीरती हुई गुजर गई। मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं वहीं गिर गया’।

घटना की सूचना मिलने के बाद गांव पहुंचे सुरेन्द्र साव ने बताया कि कुछ पुलिसकर्मी दो दिन पहले भी गांव में आकर उनके समर्थकों को एक विशेष प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने की धमकी दी थी, जिससे लोग आक्रोशित थे। शुक्रवार को जब पुलिस ने उनके पुत्र की भारी भीड़ के सामने पिटाई की तो लोगों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने पुलिस पर पथराव कर दिया। पुलिस ने 40 राउंड फायरिंग की। एक युवक की माैत और तीन के घायल हाेने की सूचना मिलने के बाद फुलवारीशरीफ विधायक गोपाल रविदास भी पहुंच गए। उन्होंने पुलिस की इस कारवाई की निंदा करते हुए सरकार से पुलिस की गोली से मरे मृतक के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी व धनरुआ थानाध्यक्ष पर धारा 302 के तहत हत्या की FIR दर्ज करने की मांग की है।

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