मध्य प्रदेश

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने देश में कायम की मिसाल

लेब में परीक्षण के बाद ही वितरण प्रणाली में उपयोग किए जा रहे हैं वितरण ट्रांसफार्मर

भोपाल। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने आत्म-निर्भर भारत की दिशा में एक मिसाल कायम की है। विद्युत वितरण कंपनी देश की ऐसी पहली कंपनी है, जिसने स्वयं की निष्ठा परीक्षण प्रयोगशाला (एनएबीएल मान्यता प्राप्त) स्थापित की है। प्रयोगशाला में खराब तथा जले ट्रांसफार्मर, जो कि विभिन्न रिपेयरिंग कंपनियों के माध्यम से ठीक होकर वापस आते हैं, उनमें से 10% सेम्पल ट्रांसफार्मरों का मानकों के अनुरूप परीक्षण करने एवं परीक्षण में खरा उतरने के बाद ही क्षेत्रीय भण्डारों में स्वीकार कर इश्यू किए जा रहे हैं। ट्रांसफार्मरों को विद्युत वितरण प्रणाली में जोड़ा जा रहा है। खराब तथा जले ट्रांसफार्मर सुधार कर कंपनी की निष्ठा परीक्षण प्रयोगशाला में परीक्षण किया जाता है। परीक्षण में जो ट्रांसफार्मर खरे नहीं उतरते, उन्हें विद्युत वितरण प्रणाली में उपयोग नहीं किया जाता है।

ट्रांसफार्मर की असफलता की दर में आई कमी, वहीं कंपनी को नहीं होगा नुकसान

कंपनी का मानना है कि इससे एक ओर जहाँ ट्रांसफार्मर की असफलता की दर में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर कंपनी को राजस्व नुकसान से बचाया जा सकेगा। साथ ही उपभोक्ताओं को निर्बाध एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति मिलेगी क्योंकि वितरण ट्रांसफार्मर लम्बे समय तक खराब नहीं होंगे। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध संचालक गणेश शंकर मिश्रा ने बताया कि कंपनी कार्यक्षेत्र में निष्ठा टेस्टिंग लेब एनएबीएल मान्यता प्राप्त है। निष्ठा टेस्टिंग लेब में विद्युत सामग्री जैसे ट्रांसफार्मर, कंडक्टर, केबिल की गुणवत्ता आदि की जाँच का कार्य किया जा रहा है। जाँच के बाद ही विद्युत प्रणाली में सामग्री उपयोग के लिए भेजी जा रही है।

अब तक 8 हजार 133 वितरण ट्रांसफार्मर का किया जा चुका परीक्षण

उन्होंने बताया कि कंपनी की निष्ठा टेस्टिंग लेब द्वारा कुल 8 हजार 133 वितरण ट्रांसफार्मर का परीक्षण किया गया है। इसमें से 5 हजार 872 ऐसे ट्रांसफार्मर हैं, जिन्हें विभिन्न कंपनियों द्वारा सुधारे जाने के बाद प्रयोगशाला में टेस्टिंग की गई है। ग्वालियर और गुना में प्रयोगशालाएँ निर्माणाधीन हैं, जिनमें जल्द ही वितरण ट्रांसफार्मर, केबिल, कंडक्टर आदि का मानकों के अनुरूप परीक्षण किया जाएगा। रबी सीजन में कृषि उपभोक्ताओं को घोषित अवधि में 10 घंटे निर्बाध एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने में वितरण ट्रांसफार्मरों की अहम भूमिका होती है।

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