मध्य प्रदेश

बच्चों के स्कूल बैग का भार आधा करने की मुहिम- शहडोल प्रदेश में अव्वल, महज 12 दिन में आधा कर दिया भार …

भोपाल। मध्यप्रदेश में चलाई जा रही बच्चों के स्कूल बैग का वजन आधा करने की मुहिम में प्रदेश का शहडोल संभाग बाकियों से आगे निकल गया है। यहां पहली कक्षा से लेकर 12वीं तक के सरकारी और निजी स्कूलों के बैग का वजन आधा हो गया। शहडोल संभाग के कमिश्नर राजीव शर्मा ने शिक्षा विभाग के साथ मिलकर एक अगस्त से यह मुहिम शुरू की थी, कमिश्नर के विशेष प्रयासों के चलते महज 12 दिन में यानी 12 अगस्त तक स्कूल बैग हल्के हो गए।

दरअसल, सरकार ने 2020 में पॉलिसी लागू की थी, जिसमें तय किया गया कि बच्चों के वजन से 10 फीसदी से अधिक बैग का भार नहीं होना चाहिए। हाल में राज्य सरकार ने इसके लिए कवायद शुरू की, लेकिन प्रदेश के 10 संभागों में शहडोल ऐसा संभाग रहा, जो इस अभियान में सफल रहा। राज्य सरकार द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर इस सफलता की घोषणा की जा सकती है। शहडोल संभाग में सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी के बच्चों के बैग नहीं हैं, लेकिन निजी स्कूलों में उनके बैग का वजन एक से दो किलो था, जो बैग रहित हो गए। वहीं संभाग के निजी स्कूलों में जो बैग 7-8 किलो तक बजन के थे, उन्हें 5 किलो तक ला दिया गया।

स्कूलों में बच्चों के बैग का वजन कम करने के लिए कमिश्नर ने शिक्षा विभाग सहित प्राचार्यों व संस्था प्रमुखों की बैठक ली। कमिश्रर ने बैठक में हिदायत देते हुए कहा कि विद्यार्थियों के बस्ते का वजन उनके वजन का 10 फीसदी से अधिक नही होना चाहिए। प्राइमरी स्कूल के लिए कोई बैग नहीं व कक्षा 12वीं तक के छात्रों के लिए अधिक से अधिक 5 किलो बैग का वजन हो। स्कूल बैग नीति के तहत बताया गया कि विद्यार्थियों के बस्ते का वजन उनके लिए बोझ न बने। बैठक में आए स्कूलों के संस्था प्रमुखों से सुझाव भी प्राप्त किए कि बच्चों के बस्ते का वजन घटाने के लिए क्या प्रयास किए जाएं। विद्यार्थियों के हितार्थ शासन की सभी हितकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन होने के साथ-साथ गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान की जाए। 8 अगस्त तक विद्यार्थियों के बस्ते का वजन कम करने सभी स्कूलों में मिशन की तरह प्रयास किये जाए।

कमिश्नर राजीव शर्मा ने बताया कि  इस सफलता के लिए हमने टीम बनाकर हर सरकारी और निजी स्कूलों में भेजा गया। बच्चों को स्कूल में बुलाकर बैग तौले गए, जो तय मापदंडों से दो से तीन गुना वजनी थे। प्राचार्यों को हिदायत देने के बाद फिर स्कूलों का निरीक्षण किया गया। इस तरह लगातार मुहिम चलाकर बैग का वजन बच्चों के वजन से 10 फीसदी से कम कर दिया गया है।

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