छत्तीसगढ़रायपुर

भाजपा की हार का सिलसिला लगातार जारी : ‘कका’ के आगे नहीं टिका ‘बुलडोजर मामा’, चाउंर वाला बाबा भी फ्लाप, जनादेश से जनता का संदेश- कांग्रेस पर है ‘भरोसा’ ….

रायपुर। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मतदाताओं ने तगड़ा सबक सिखाया है। 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी खैरागढ़ को जिला न बनाने की रमन सिंह की गलती को भाजपा ने भुगता है। हालात यह है कि 15 साल तक सत्ता के मोह जाल में फंसे नेताओं के काम अब सामने आ रहे हैं और जनता चुन-चुन कर बदला ले रही है। जनता के जनादेश ने पार्टी के दिग्गज नेताओं के दावों का दिवाला निकाल दिया है। 5 राज्यों में हुए चुनाव और ऐतिहासिक जीत से भाजपा उत्साहित थी। भाजपा इस मुगालते में थी कि वह यह चुनाव बाएं हाथ से जीत जाएगी। भाजपाई इसे छत्तीसगढ़ में खैरागढ़ को मिशन-2023 का सेमीफाइनल कह रहे थे। ‘बुलडोजर मामा’ से लेकर ‘चाउंर वाले बाबा’ तक की सियासी बिसात बिछी, लेकिन ठेठ छत्तीसगढ़िया ‘कका’ के जिला बनाने के राजनीतिक शस्त्र के आगे भाजपा के सारे “56” अस्त्र विफल हो गए। खैरागढ़ की जनता ने ‘जिला’ जीत लिया और भाजपा की उम्मीदों का ‘किला’ ढहा दिया।

खैरागढ़ में वोटों का यह अंतर ही बताता है कि कांग्रेस की मौजूदा सरकार पर मतदाताओं को भरोसा है यानी भूपेश पर भरोसा है। यह कांग्रेस के मनोबल को बढ़ाने वाली है और मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा को मायूस करने वाली है। उप चुनाव में भाजपा ने समाजों को साधने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा, लेकिन जनता ने उनके कद को कमजोर कर दिया। अब भाजपा को सरकार के खिलाफ और जनता के समर्थन में मुद्दों की तलाश करनी होगी। खैरागढ़ में भाजपा के प्रचारकों के पास मुद्दा नहीं था, सिर्फ केंद्र की योजनाएं थी और प्रदेश सरकार की खिलाफत थी। जनता ने संदेश दिया कि अभाव और प्रभाव अब दोनों ही नहीं चलेगा। उन्हें कुछ ठोस चाहिए, जिनसे उन्हें सीधा जुड़ाव हो और समाज के साथ हर वर्ग का हित जुड़ा हुआ हो।

खैरागढ़ उप चुनाव का यह परिणाम काफी चौकाने वाला है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस तीसरे नंबर पर थी। भाजपा दूसरे और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) पहले नंबर। राजा देवव्रत सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी की पार्टी जेसीसीजे से चुनाव लड़े। देवव्रत सिंह को 61,516 वोट मिले थे। वहीं भाजपा के कोमल जंघेल को 60,646 और कांग्रेस के गिरवर जंघेल को 31,811 वोट मिले थे। इस सीट में जीत का मार्जिन केवल 870 वोट का था। जेसीसीजे की कब्जे वाली सीट पर देवव्रत सिंह के बहनोई नरेंद्र सोनी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। सहानुभूति के वोट भी इस सियासत में तितर-बितर हो गए। दो उप चुनाव में जेसीसीजे की दो सीटें अब कांग्रेस के खाते में चली गई है। यह संगठन की चिंता का विषय हो सकता है।

ऐतिहासिक जीत से गदगद सीएम भूपेश बघेल यानि ‘कका’ ने कहा कि जिला बनाने से चुनाव जीतते तो चाउंर वाले बाबा यानि डॉ. रमन सिंह ने 8 जिले बनाए थे, तब क्यों हार गए। सीएम ने कहा कि जिला बनाना एक मुद्दा हो सकता है, लेकिन वह जीत-हार का पैमाना नहीं हो सकता। भाजपा ने 8 जिले बनाये थे, उनमें से मुंगेली को छोड़कर हर जिले में भाजपा को शिकस्त मिली। जिला व तहसील बनाना एक मुद्दा हो सकता है, लेकिन वह जीत का आधार होगा ऐसा कतई नहीं है। जनता को अब काम चाहिए, विकास चाहिए, उन्नति चाहिए। भूपेश ने कहा कि कांग्रेस ने काम किया तो जनता ने जनादेश दिया।

इस उप चुनाव में भाजपा को जीत की उम्मीद थी। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं खासकर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल सहित अन्य नेताओं ने जमकर पसीना बहाया। कोई कसर भी नहीं छोड़ी, लेकिन जिले के दांव ने भाजपा को खैरागढ़ की सियासी रियासत से बाहर कर दिया। भाजपा यहां जीतकर 2023 की तैयारी में जुटने की तैयारी में थी, लेकिन अब रणनीति पर नए सिरे से विचार करना पड़ेगा। इस हार के साथ भाजपा की राज्य में हार का सिलसिला जारी है। 2019 के लोकसभा चुनाव छोड़ दें तो भाजपा को प्रायः सभी चुनाव में हार का सामना करना पड़ रहा है। नगरीय निकाय, 3 विधानसभा उप चुनाव आदि…। यह हार भाजपा की प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी के लिए भी चुनौती बढ़ाने वाली है।

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