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भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने “तुष्टिकरण के लिए” न्योते को अस्वीकार कर दिया, ‘जवाहरलाल नेहरू की कांग्रेस’ हिंदू धर्म के खिलाफ है, कांग्रेस पर हमला

नई दिल्ली
इसी महीने 22 जनवरी को राम नगरी अयोध्या में होने वाले प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का न्योता ठुकराने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया है। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने "तुष्टिकरण के लिए" न्योते को अस्वीकार कर दिया। इसने यह भी कहा कि 'जवाहरलाल नेहरू की कांग्रेस' हिंदू धर्म के खिलाफ है। केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, "तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस पार्टी लगातार हिंदू मान्यताओं का विरोध कर रही है। पिछले दो-चार दशकों में जब भी राम मंदिर का मुद्दा उठा है, उन्होंने हमेशा इसका विरोध किया है। उन्होंने यहां तक कहा कि भगवान राम एक काल्पनिक व्यक्ति थे और राम सेतु पर भी सवाल उठाया। वर्तमान कांग्रेस पार्टी तुष्टीकरण की पराकाष्ठा पर पहुंच गई है। मैं उनके फैसले से हैरान नहीं हूं।"

बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को कहा कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी शामिल नहीं होंगे, क्योंकि यह भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) का आयोजन है तथा ‘अर्द्धनिर्मित मंदिर’ का उद्घाटन चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है। अब भाजपा कांग्रेस पर हमलावर है। कर्नाटक भाजपा नेता सीटी रवि ने दावा किया कि भारत के पहले प्रधानमंत्री और दिवंगत कांग्रेस नेता नेहरू ने गुजरात के प्राचीन सोमनाथ मंदिर में जाने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा, "कांग्रेस हमेशा से हिंदुत्व के खिलाफ रही है… सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबू राजेंद्र प्रसाद और केएम मुंशी ने किया था। उस दौरान जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। वह सोमनाथ नहीं गए। तो कांग्रेस का मौजूदा नेतृत्व अयोध्या कैसे जा सकता है।"

उन्होंने कहा, "यह नेहरू की कांग्रेस है, यह गांधी की कांग्रेस नहीं है। महात्मा गांधी 'रघुपति राघव राजा राम' गाते थे और आज कांग्रेस 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में शामिल नहीं हो रही है। इससे पता चलता है कि कांग्रेस हिंदू धर्म और हिंदुत्व के खिलाफ है।" अयोध्या में मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह के लिए मंदिर समिति ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को आमंत्रित किया था। हालांकि, उन्होंने बुधवार को इस भव्य कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया और कहा कि भाजपा और आरएसएस इस समारोह से चुनावी लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में यह भी कहा कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं तथा धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय है, लेकिन भाजपा और आरएसएस ने वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक ‘राजनीतिक परियोजना’ बना दिया है। कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि एक ‘अर्द्धनिर्मित मंदिर’ का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए ही किया जा रहा है। रमेश ने कहा, ‘‘2019 के माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करते हुए एवं लोगों की आस्था के सम्मान में मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी एवं अधीर रंजन चौधरी भाजपा और आरएसएस के इस आयोजन के निमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करते हैं।’’

 

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