राजस्थान

बड़ा सवाल, क्या गुजरात की जीत राजस्थान में भुनाने में कामयाब हो पाएगी भाजपा ….

जयपुर । अब ठीक एक साल बाद अगले दिसंबर माह में राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव होंगे। इस चुनाव के परिणाम 2024 के लोकसभा चुनाव पर बड़ा असर डालेंगे। इस स्थिति में यक्ष प्रश्न यह है कि क्या राजस्थान में भाजपा गुजरात की जीत को भुना पाएगी?

गुजरात में भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली है। वोट प्रतिशत न सिर्फ 49 से बढ़कर 52 हुआ है बल्कि लगभग 86 प्रतिशत सीटें हासिल करके गुजरात में भाजपा ने कीर्तिमान बनाया है। आम आदमी पार्टी के मैदान में होने के कारण सत्ता विरोधी वोटों का बंटना भी भाजपा की सफलता का बड़ा कारण रहा।

भाजपा के नेता-कार्यकर्ता गुजरात मॉडल को राजस्थान में उतारने की बात करते हैं। पार्टी गुजरात मॉडल को सत्ता में लौटने की सीढ़ी मानती है। आखिर क्या है भाजपा का गुजरात मॉडल और इसको राजस्थान में लागू करने में भाजपा को क्या चुनौतियां आएंगी?

गुजरात में भाजपा 27 साल से सत्ता में है। इस बार सातवीं बार उसने सत्ता पर कब्जा बरकरार रखा है। अपने विकास के मॉडल और संगठन की मजबूती के दम पर पार्टी लगातार जीतती आ रही है। गुजरात सहित 7 राज्यों के प्रभारी रह चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम माथुर ने दैनिक भास्कर को बताया कि गुजरात में संगठन की मजबूती ही भाजपा का पहला फोकस है। 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से गुजरात भाजपा में संगठन स्तर पर पेज प्रमुख बनाने की शुरुआत की गई। हर बूथ पर वोटर लिस्ट के प्रत्येक पन्ने का एक प्रमुख होता है। जो उस पन्ने में शामिल वोटर्स की सार-संभाल करने और उनसे लगातार जुड़े रहकर चुनाव में पार्टी के पक्ष में वोट डलवाने का काम करते हैं। गुजरात के मॉडल में पेज (पन्ना) प्रमुख ही वो कड़ी है जो पार्टी की लगातार सफलता का मॉडल बना हुआ है।

माथुर बताते हैं कि संगठन का स्ट्रक्चर ऐसा है कि गुजरात में पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता के जिम्मे कोई न कोई ऐसा काम होता है जो पार्टी को मजबूत करने की कड़ी में अपनी भूमिका निभाता है। गुजरात में संगठन की रचना इस तरह है कि इसके कारण वहां नेता गौण है। स्थानीय नेता सब बराबर है, इसलिए नेतृत्व की प्रतिस्पर्धा नहीं है। लोगों में नरेंद्र माेदी के प्रति विश्वसनीयता है। 27 साल में गुजरात में हुए विकास के कारण लोगों में यह विश्वास है कि जो मोदी कह रहे हैं वो पूरा करेंगे। यही गुजरात मॉडल है जिसकी वजह से भाजपा लगातार सत्ता में बनी हुई है और इस बार के चुनाव में उसने अब तक की सबसे ज्यादा 182 में से 156 सीटें जीतीं।

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