मध्य प्रदेश

मप्र परिवहन विभाग का बड़ा फैसला: अब ब्लॉक नहीं होगा पुरानी गाड़ियों का नंबर, अब नई कारों में भी हो सकेंगे पुराने नंबर उपयोग…

भोपाल। मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग ने कारों के नंबर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब पुरानी गाड़ियों के नंबर नई कारों में भी उपयोग हो सकेंगे। इससे सबसे ज्यादा फायदा वीआईपी नंबर की गाड़ी मालिकों को मिलेगा। पुराना नंबर ब्लॉक नहीं होगा। परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया- वाहन मालिक पुराने फोर व्हीलर गाड़ियों को आवंटित नंबरों का उपयोग अब अपने नए वाहनों के लिए कर सकेंगे। इसके लिए गाड़ी मालिक को पुराने नंबर के लिए दी गई राशि अथवा न्यूनतम 15 हजार रुपए में जो भी अधिक होगा, भुगतान करना होगा।

मंत्री राजपूत ने बताया कि पहले कंडम वाहनों के स्क्रैप के साथ ही उक्त वाहन का नंबर भी ब्लॉक कर दिया जाता था। इसमें वीआईपी नंबर लेने वाले वाहन मालिक को नया नंबर लेना पड़ता था, लेकिन वर्तमान में सरकार ने नई व्यवस्था लागू की है। इसका सीधा लाभ वीआईपी नंबर लेने वाले गाड़ी मालिकों को मिल सकेगा।

मई 2014 के पूर्व वीआईपी नंबर ‘प्रथम आओ, प्रथम पाओ’ के आधार पर आवंटित किए जाते थे। जिसमें 1 से 9 नंबर का शुल्क 15 हजार रुपए। 10 से 100 का 12 हजार रुपए, विशिष्ट नंबरों के लिए 10 हजार रुपए और शेष नंबरों का शुल्क 2 हजार रुपए था। 22 मई 2014 के बाद वीआईपी नंबर के लिए ऑनलाइन नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसमें गाड़ी मालिक को वीआईपी नंबरों के लिए बड़ी कीमत चुकाना पड़ती थी, लेकिन अब नई पालिसी के तहत उनके या उनके परिवार वाले व्यक्ति उसी श्रेणी का वाहन खरीदने पर पूर्व वाहन के नंबर का उपयोग कर सकेगा।

परिवहन मंत्री राजपूत ने बताया कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं देने के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रोसेस को और अधिक सरल किया गया है। अब कोई भी आवेदक लर्निंग लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन के साथ या ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण अथवा ड्राइविंग लाइसेंस में अन्य श्रेणी के वाहन जोड़े जाने के आवेदन के साथ रजिस्टर्ड चिकित्सक द्वारा पोर्टल पर ऑनलाइन फॉर्म 1ए में मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर सकेंगे। मंत्री राजपूत ने बताया कि 1 अप्रैल 2021 के पहले उक्त मेडिकल सर्टिफिकेट मैनुअल तरीके से जारी किए जाने का प्रावधान था। अब मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड चिकित्सक पोर्टल पर ऑनलाइन फॉर्म 1ए में मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें एनआईसी के सारथी पोर्टल पर खुद का पंजीयन कराना आवश्यक है।

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