मध्य प्रदेश

भोपाल गैस त्रासदी मामले में केंद्र को बड़ा झटका : SC ने केंद्र की अतिरिक्त मुआवजे वाली याचिका खारिज की

भोपाल। मध्यप्रदेश के भोपाल गैस त्रासदी मामले में केंद्र को कोर्ट के निर्णय ने बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर की गई केंद्र की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी है। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को इस मामले में पहले आना चाहिए था। केंद्र सरकार ने गैस पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए आरबीआई के पास पड़े 50 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग करके सरकार मुआवजे के पेंडिंग मामलों को निपटाएगी।
केंद्र सरकार ने दायर की थी याचिका
1984 के भोपाल गैस कांड में मुआवजे को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल किया था। इसमें गैस पीड़ित संगठन भी एक याचिकाकर्ता है। केंद्र ने इस घटना के संबंध में कंपनी से 7400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग की थी। इसी याचिका पर पांच जजों की बेंच ने आज अपना फैसला सुनाया है। सभी पक्षों को सुनने के बाद 12 मार्च को ही इस मामले की सुनवाई पूरी हो गई थी।
क्या है भोपाल गैस त्रासदी?
मध्य प्रदेश के भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात में एक दर्दनाक हादसा हुआ था। जिसे भोपाल गैस त्रासदी का नाम दिया गया। दरअसल, इस दौरान यूनियन कार्बाइड नामक कंपनी के कारखाने में रखे टैंक नंबर 610 से एक जहरीली गैस का रिसाव हुआ। बताया जाता है कि इस टैंक से करीब 40 टन जहरीली मिथाइल आइसो साइनेट गैस का रिसाव हुआ था। मध्य प्रदेश सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इस कांड से 5,74,376 लोग प्रभावित हुए थे और 3,787 लोगों की मौत हुई थी। 2006 में दाखिल एक शपथ पत्र में सरकार ने यह माना कि गैस रिसाव से करीब 558,125 सीधे तौर पर प्रभावित हुए और आंशिक तौर पर प्रभावित होने की संख्या लगभग 38,478 थी। 3,900 लोग तो बुरी तरह प्रभावित हुए और अपंगता के शिकार हो गए।

कई लोग तो इस मदद की आस लिए दुनिया ही छोड़ गए, जो बचे हैं, उनके हालात नहीं बदले

राजधानी भोपाल में फैक्ट्री के आसपास के बड़े इलाके में आज भी लोग उस त्रासदी के असर का सामना करते हैं। उनके बच्चे तक भी किसी ना किसी समस्या का सामना करते हैं। यहां के ज्यादातर लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है और काफी बच्चे दिव्यांग पैदा होते हैं। भोपाल गैस कांड में जो लोग बच गए, उनका दर्द वक्त के साथ कम होने के बजाय बढ़ता चला गया। दशकों से ये लोग मुआवजा बढ़ाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। लेकिन, इन्हें अभी तक इसमें कामयाबी हासिल नहीं हुई है। कई लोग तो इस मदद की आस लिये दुनिया ही छोड़ गए। सरकारें बदलीं, पर इनके हालात नहीं बदले।

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