रायपुर

भूपेश सरकार की अनोखी पहल : अब स्कूली बच्चे बनाएंगे नववर्ष के लिए आकर्षक कव्हर पेज

पी दयानंद एमडी समग्र शिक्षा

रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने छत्तीसगढ़ समग्र शिक्षा अकादमी के माध्यम से कई तरह के प्रयोग करना शुरू किया है। इसी के तहत नववर्ष के स्वागत में एक आकर्षक कव्हर पेज बनाने की जिम्मेदारी स्कूली बच्चों को दी गई है। इसके लिए आइडिया और सामग्री संबंधित स्कूल के शिक्षक देंगे लेकिन बनाने का काम बच्चे ही करेंगे।

स्कूली बच्चों द्वारा तैयार बैग बाजार में

स्कूल शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में विशेष रूप से प्राथमिक शालाओं में पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों पर विशेष रूप से फोकस करना शुरू किया है। छत्तीसगढ़ समग्र शिक्षा अकादमी के एमडी पी दयानंद इस पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। एक नए निर्देश के मुताबिक स्कूली बच्चों को नए वर्ष के स्वागत में एक आकर्षक कव्हर पेज बनाने को कहा गया है। इसके अलावा हिन्दी और अंग्रेजी में छोटी छोटी कविताएं चित्र के साथ इन्हें बनाना है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इंग्लिश क्लब का गठन किया है। जिसमें ऐसे गतिविधियों को शामिल किया जाता है। गणित की गतिविधियां भी इसमें लिए जाएंगे। सामान्य ज्ञान पर बच्चे अपनी बात रखेंगे। रोचक पहेलियों पर भी फोकस करने को कहा गया है।

समझ के साथ पठन हो इसके लिए आकर्षक पैराग्राफ बनाने की बात कही गई है। आत्मरक्षा के गुर और सुरक्षा संबंधी नियमों की जानकारी भी स्कूली बच्चों को दी जाएगी। स्कूलों में इन सब गतिविधियों को एक्सपोजर का नाम दिया गया है। जिस पर विशेषज्ञ अपनी राय व्यक्त करेंगे। स्कूल से इसे ब्लॉक स्तर और जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक इन प्रतिभाओं को ले जाने की योजना छत्तीसगढ़ समग्र शिक्षा अकादमी की है। स्कूलों में युवा क्लब और इको क्लब का गठन भी होने लगा है। इस तरह की गतिविधियों को इन क्लबों के माध्यम से किए जाने की बात कही गई है।

छत्तीसगढ़ समग्र शिक्षा अकादमी के निर्देश पर ही किलोल का गठन किया गया है। इसमें स्वच्छता पर्यावरण से लेकर तमाम उन गतिविधियों को शामिल किया जा रहा है जिसमें बच्चों की प्रतिभा को प्रदर्शित किया जा सके। हर स्कूल में शिक्षकों के पढ़ाने की अपनी अलग शैली होती है। गिनती और पहाड़ा को किस तरह से आसानी से पढ़ा और याद किया जाए इसे भी किलोल में शामिल किया गया है। इस बात को हर दूसरे स्कूल तक पहुंचाने का काम भी इंटरनेट के माध्यम से किया जा रहा है। चित्रों के साथ कहानी को समझना, कहानी तैयार करना यह भी हर स्कूलों में होने लगा है।

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