लखनऊ/उत्तरप्रदेश

नहीं छूटे किसी लड़की का स्कूल पड़ना इसलिए अपने वेतन से बनवा दिए 7 टॉयलेट

बुलंदशहर
 अगर आप गांव-देहात की तरफ जाएं, तो ऐसी छात्राओं की बड़ी संख्या मिलेगी, जो स्कूल में बेसिक सुविधाएं ना मिलने की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ देती हैं। और, इनमें सबसे बड़ा कारण है स्कूल में टॉयलेट का ना होना। इस परेशानी से निपटने के लिए बुलंदशहर के एक सरकारी टीचर ने वो कर दिखाया, जो शायद आप सोच भी नहीं सकते। स्कूल से छात्राओं का ड्रॉप आउट रोकने के लिए इन मास्टर जी ने अपनी ही तनख्वाह से एक-दो नहीं, बल्कि सात टॉयलेट बनवा दिए। टॉयलेट बन जाने से छात्राएं तो खुश हैं ही, गांव के लोग भी मास्टर जी की भर-भरके तारीफ कर रहे हैं।

टॉयलेट बनवाने के लिए नहीं मांगी किसी से मदद

बुलंदशहर के रूठा गांव में संजय गांधी स्मारक शिक्षा सदन जूनियर हाई स्कूल में सुनील दीक्षित एक असिस्टेंट टीचर के तौर पर पढ़ाते हैं। उन्हें जब पता चला कि कुछ छात्राएं इसलिए स्कूल नहीं आ रहीं, क्योंकि स्कूल में उनके लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं, तो सुनील इस समस्या को खत्म करने की कोशिश में जुट गए। सुनील पहले से ही पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरित रहे हैं, तो बस तय कर लिया कि चाहे जो हो जाए, स्कूल में छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट बनवाकर रहेंगे। इसके लिए सुनील ने किसी से मदद नहीं मांगी और अपनी तनख्वाह से ही स्कूल में छात्राओं के लिए 7 अलग टॉयलेट बनवा दिए।

स्कूल की छात्राएं और टीचर दोनों खुश

गुरुवार को स्कूल में बच्चों की जबरदस्त भीड़ के बीच जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी लक्ष्मीकांत पांडे ने इन टॉयलेट्स का उद्घाटन किया। छात्राएं खुश थीं, क्योंकि अब वो बिना किसी झिझक के रेगुलर स्कूल आ सकेंगी। बाकी टीचर भी खुश थे, क्योंकि अब छात्राओं की अटेंडेंस पूरी रहेगी। लेकिन, सबसे ज्यादा अगर कोई खुश था, तो वो थे खुद सुनील दीक्षित। सुनील के दिल में एक संतोष था, एक सुकून था…उन्होंने उस समस्या को खत्म किया था, जिसकी वजह से देश की बेटियों की पढ़ाई रुक रही थी।

साल 2019 में भी बनवाए थे 5 टॉयलेट

हालांकि, ऐसा नहीं है कि सुनील ने ये काम कोई पहली बार किया है। साल 2019 में सुनील बुलंदशहर के ही खानपुर इलाके में लढ़ाना जूनियर हाई स्कूल में पढ़ाते थे। वहां भी उनके सामने ठीक यही समस्या आई थी, और उस वक्त उन्होंने अपनी तनख्वाह से वहां छात्राओं के लिए पांच टॉयलेट बनवाए थे। सुनील के इस काम के चर्चे गांव में नहीं, बल्कि यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल तक भी पहुंचे चुके हैं और उन्होंने उनकी जमकर तारीफ की।

देश में बिना टॉयलेट वाले कितने स्कूल?

साल 2022 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्यसभा में जानकारी देते हुए बताया था कि देश में 12,000 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जिनमें टॉयलेट की सुविधा नहीं है। इनमें पहले नंबर पर तेलंगाना है, जहां ऐसे स्कूलों की संख्या सबसे ज्यादा 2124 है। इसके बाद दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश और इसके बाद जम्मू कश्मीर और महाराष्ट्र हैं। हालांकि, केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा के तहत पिछले तीन साल में सरकारी स्कूलों में 53,323 नए टॉयलेट बनवाए और 1,344 को ठीक कराया। लेकिन, अभी भी ये समस्या बरकरार है।

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