बिलासपुर। केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, योजनाएं तो जरुरतमंदों को लाभ पहुंचाने के लिए बनातीं हैं लेकिन जमीनी स्तर पर मदद करने वाला कोई नहीं होता। सरकारी व्यवस्था से मदद मिल जाए यह संभव नहीं है। यह कार्य स्वयंसेवी संगठनों के लोग करते हैं मगर यहां भी ऐसी संस्थाएं अचानक आ जाती हैं जो सिर्फ फंड के वारे-न्यारे करने के लिए बनी रहतीं हैं। यही वजह है कि अच्छे लोग जो सचमुच में जरुरतमंदों को मदद करना चाहते हैं वे सामने नहीं आते। जो काम करते भी हैं वे प्रचार-प्रसार से दूर जरुरतमंदों को मदद करने में लगे रहते हैं। ऐसी ही एक अंकिता पांडेय हैं जिनको न प्रचार-प्रसार चाहिए, न दिखावा।
अंकिता पांडेय की उम्र अभी 25 वर्ष है। वे अटल आवास, झुग्गी झोपड़ी क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में जाकर वहां के बच्चों को अच्छे एवं बुरे स्पर्श, यौन शोषण, लैंगिक उत्पीड़न, नशा मुक्ति, चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 के बारे में, वीडियो, कहानी, पोस्टर आदि के माध्यम से जागरूक करतीं हैं एवं किशोरियों को महावारी के दौरान होने वाली समस्या का निदान योग के माध्यम से उन्हें बतातीं हैं। वहीं किशोरों को साइबर क्राइम एवं पोस्को एक्ट के बारे में सूचनाएं उपलब्ध करातीं हैं। बच्चों, युवतियों को आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण व बचाओ के तत्काल सरल तरीके उन्हें बताती हुए उनके अभिभावकों को लैंगिक समानता, बालिका शिक्षा एवं बाल विवाह इन सभी के लिए जागरूक करतीं हैं।
भारत में एक ऐसा समुदाय है जो भिक्षावृत्ति को बढ़ावा में लिप्त है। उस “नट” समुदाय के बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित कर रहीं हैं, ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके। क्योंकि जागरूकता व्यक्ति को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है। जब कभी लैंगिक उत्पीड़न और अच्छे स्पर्श बुरे स्पर्श का मामला सामने आता है तब वे संवेदना केंद्र व चाइल्डलाइन को इस सब के बारे में जानकारी देतीं हैं।
हाल ही में उन्होंने एक स्कूल के 50 से ज्यादा बच्चियों को जागरूक कर उनके साथ हो रहे घटना को अभिभावकों व लोगों के सामने लाया। हाल ही में उन्होंने कोरोना संकट के दौरान लोगों की मदद करना एवं कोरोना के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के साथ ही पुलिस विभाग में एसपीओ बनकर पुलिस की मदद कर रहीं हैं।