बिलासपुर । बारिश के पानी के संरक्षण और भू-जल स्तर बढ़ाने के लिए ही अमृत सरोवर योजना लाई गई है। इस योजना के तहत गांवों में या तो नए तालाब बनाए जा सकते हैं या पुराने तालाबों को ही नया रूप देकर सौंदर्यीकरण किए जा सकेंगे।
प्रदेश में 10 जिले ऐसे हैं, जहां अब तक अमृत सरोवर मिशन योजना के तहत एक भी तालाब नहीं बने हैं। 18 जिलों में अब तक सिर्फ 52 तालाबों का निर्माण हो पाया है। इस योजना के तहत 24 अप्रैल 2022 से काम शुरू हो गया है। सभी जिलों में 75-75 तालाबों को निर्माण किया जाएगा।
सभी अमृत सरोवर कम से कम एक एकड़ में बनेंगे, जिसमें लगभग 10 हजार घन मीटर जल धारण की क्षमता होगी। अमृत सरोवर के तहत प्रदेश के 28 जिलों में न्यूनतम 2100 अमृत सरोवर (प्रति जिला 75) का लक्ष्य रखा गया है।
इसे 15 अगस्त 2023 तक पूरा करना है। रिमोट सेसिंग और भू-स्थानिक (जिओ स्पेटियल) तकनीकों का उपयोग करते हुए कम से कम 1 एकड़ पर लगभग 10 हजार घन मीटर की जल धारण क्षमता के साथ अमृत सरोवर का निर्माण किया जाना है। इस योजना के तहत कहीं नए तो कहीं पुराने तालाबों का गहरीकरण किया जाना है। तालाबों के निर्माण की जिम्मेदारी जल संसाधन विभाग की है।
मनरेगा, 15वें वित्त समेत अन्य योजनाओं के तहत तालाबों का निर्माण होगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में अब तक इस योजना के तहत सिर्फ 52 तालाब ही बनाए जा सके हैं।
आधा समय बीत जाने के बाद 50 % काम नहीं हुआ है। जिस रफ्तार से काम चल रहा है, इससे तय समय पर काम पूरा होने की उम्मीद नहीं है। यदि बारिश तक तालाब नहीं बने तो किसानों को परेशानी होगी।