नई दिल्ली

एवरग्रांड के बाद अब आई नई मुसीबत, चीन की इकोनॉमी पर तेजी से गहरा रहा यह संकट, पढ़ें ….

नई दिल्ली । इस बिगड़े हालात में वैश्विक ग्राहकों को क्रिसमस से पहले स्मार्टफोन और अन्य चीजों की आपूर्ति की कमी झेलनी पड़ सकती है। कई कंपनियों का कहना है कि इस हालात में उत्पादन से लेकर आपूर्ति तक प्रभावित हो रहा है। जाहिर सी बात है कि कंपनियां समय पर ऑर्डर तैयार नहीं कर पाएंगी जिससे वित्तीय नुकसान झेलना पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो बड़े पैमाने पर छंटनी भी हो सकती है। 

चीन की दिग्गज रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड के दिवालिया होने की आशंका से दुनिया अभी सहमी हुई है। वहीं, अब चीन में बिजली संकट ने भी नई टेंशन दे दी है। हालात ये हैं कि बिजली संकट की वजह से कई कंपनियों में प्रोडक्शन बंद हो चुका है। वहीं, कई कंपनियों को बिजली के बैकअप का इस्तेमाल करने में ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है।

आपको बता दें कि उत्पादक पहले से ही प्रोसेसर चिप की कमी और कोरोना वायरस जनित महामारी के कारण लागू यात्रा और परिवहन संबंधी प्रतिबंधों से उपजी परेशानियों से जूझ रहे हैं। ये सबकुछ ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक वित्तीय बाजार पहले से ही चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांड समूह के धराशायी होने से चिंतित हैं। इस रियल एस्टेट कंपनी पर अरबों डॉलर का बोझ है।

चीन में इस संकट की वजह बिजली बचत की योजना है। सरकार बिजली बचत पर जोर दे रही है। सत्तारूढ़ दल फरवरी में बीजिंग और शिजियाझुआंग में विंटर ओलंपिक का आयोजन कराने की तैयारी भी कर रहा है और इसके लिए सरकार चाहती है कि वातावरण में प्रदूषण न हो।

हालांकि, इस वजह से आम लोगों से लेकर कारोबारियों तक को नुकसान उठाना पड़ रहा है। नोमुरा के अर्थशास्त्री तिंग लू, लीशेंग वांग और जिंग वांग के मुताबिक, “ऊर्जा की बचत करने के बीजिंग के संकल्प से दीर्घकालिक फायदा हो सकता है लेकिन कम अवधि में इसकी ज्यादा कीमत चुकानी होगी।” ये अनुमान है कि जीडीपी ग्रोथ सुस्त पड़ जाए।

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