लखनऊ/उत्तरप्रदेश

क्राइम ब्रांच के सामने पेश हुए आरोपी आशीष मिश्रा, जवाबों पर होगा गिरफ्तारी या रिहाई का फैसला…

लखनऊ। किसानों के ऊपर कथित रूप से गाड़ी से रौंदने के मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा शनिवार को क्राइम ब्रांच के सामने पेश हुए। इससे पहले शुक्रवार को क्राइम ब्रांच के सामने पेश होने के लिए आशीष मिश्रा को नोटिस जारी किया गया था। मंत्री के बेटे से पूछताछ के लिए डीआईजी और लखीमपुर खीरी के एसपी भी पहुंचे हैं। आशीष से पूछताछ में जवाबों के आधार पर पुलिस रिहा या फिर गिरफ्तार कर सकती है।

 

 

शुक्रवार को क्राइम ब्रांच के सामने पेश नहीं होने के बाद लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा के घर पर दोपहर के बाद फिर से समन चस्पा किया गया था। इस समन में सीआरपीसी की धारा 160 के तहत लिखा गया था कि तिकुनिया पुलिस स्टेशन में एक मामले में आपको अपना पक्ष पेश करने के लिए पुलिस लाइन में क्राइम ब्रांच कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था, लेकिन आप उपस्थित नहीं हुए। इसलिए आप को शनिवार को फिर से पेश होने और अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया जाता है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

 

 

 

गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे ने कथित रूप से प्रदर्शनकारी किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी थी। इस हिंसक घटना में आठ लोगों की मौत हो गई थी। इनमें 4 किसान, 3 भाजपा कार्यकर्ता और एक पत्रकार शामिल थे। साथी किसानों की मौत से आहत प्रदर्शनकारी किसानों ने लखीमपुर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जिसके बाद उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने उपजे बवाल को समाप्त करने के लिए किसानों के साथ समझौता किया था जिसमें सरकार सभी मृतक किसानों को 45 लाख रुपए का मुआवजा, आरोपियों की गिरफ्तारी और मामले की न्यायिक जांच कराने के लिए तैयार हो गई थी।

 

 

लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश सहित कई धाराओं में एफआईआर दर्ज किया गया है। इस मामले में पुलिस पहले ही आशीष मिश्रा के दो सहयोगियों आशीष पांडे और लवकुश राणा को गिरफ्तार कर चुकी है। इसके अलावा उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने इस मामले की जांच के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया है। आयोग को मामले की जांच के लिए दो महीने का समय दिया गया है।

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